
यज्ञ में आहुति डालते श्रद्धालु।
वेद विद्या शोध संस्थान की ओर से महर्षि दयानंद सरस्वती जन्म शताब्दी 12 दिवसीय समारोह में शुक्रवार को तीसरे दिन लोगों ने ब्रह्मसरोवर के तट पर पहुंचकर चतुर्वेद परायण यज्ञ में आहुति डाली। करीब डेढ़ हजार मंत्रोच्चारण कर यज्ञ में आहुतियां डाली। मंत्रोच्चारण के लिए गुरुकुल के ब्रह्मचारियों व 11 ब्रह्मचारिणियों को जिम्मा सौंपा हुआ है।
वहीं, तीसरे दिन धार्मिक एकता को लेकर संवाद हुआ। चतुर्वेद परायण यज्ञ के तीसरे दिन जिला नगर आयुक्त अश्वनी मलिक, अर्जुन अवाॅर्ड विजेता बॉक्सर मनोज कुमार और डीएसपी नरेंद्र कुमार भी यज्ञ में शामिल हुए। अश्वनी ने कहा कि उनके गांव के पास एक गुरुकुल होता था, जिसमें उन्होंने ब्रह्मचारियों की दिनचर्या देखी है। इससे उन्हें अंदाजा लगता है कि महर्षि दयानंद सरस्वती व वेदों का चिंतन किस तरह से व्यक्ति का जीवन बदल देता है।
बॉक्सर मनोज ने महर्षि दयानंद सरस्वती की द्वितीय जन्म शताब्दी मनाने के लिए स्वामी संपूर्णानंद की सराहना की। कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती ने कहा कि जिसने भी महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों व वेद को ग्रहण कर लिया। उसके जीवन का कल्याण हो गया। जबसे हमने वेद को पढ़ना व पढ़ाना छोड़ दिया है, समाज में अव्यवस्था फैल गई है। अंतरराष्ट्रीय वैदिक वक्ता मुनि सत्यजीत ने मुनि रितमा ने कहा कि यज्ञ के लाभों को विज्ञान ने भी स्वीकार किया है।
आर्य समाज ने जाति-पाति, अमीरी-गरीबी व छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने का काम किया है। मंच संचालन कार्यक्रम प्रभारी डाॅ. श्रीप्रकाश मिश्र ने किया। आर्य रामपाल कुंडू ने अतिथियाें का आभार जताया।